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जीवन आधार-पेंशन
"पेंशन" शब्द एक ऐसा शब्द है जो हम सब भारतीयों में यही अवधारणा बनी हुई है, कि यह शब्द सिर्फ उन्ही व्यक्तियों से जुड़ कर रह जाएगा जो सिर्फ भारत सरकार या राज्य सरकार के अधीन कार्य कर रहे व्यक्ति हों, क्योंकि भारत की आजादी से सिर्फ पेंशन उन्ही लोगों को प्राप्त हो रहा है जो 60 वर्ष बाद भारत सरकार या राज्य सरकार में किसी भी पद में रह कर नौकरी या सेवा 60 वर्षो तक देते आ रहे हों, और यहीं पेंशन किसी भी सेवानिवृत कर्मचारी या अधिकारीयों के "बुढ़ापे की लाठी" या सहारा बना हुआ, क्योंकि अक्सर देखने को मिलता है कोई भी सरकारी कर्मचारी अपने नौकरी काल में अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा देने, उनके अच्छे से अच्छे खान पान, पालन पोषण तथा अपने घर को बनाने इत्यादि में सभी रकम वेतन के खर्च हो जाता है, साथ ही साथ यह भी हमें अक्सर ग्रामीणों या शहरी इलाकों में देखने को मिलता है कि पुरे 60 वर्षो तक अपने वेतन से बच्चों का लालन पालन में, उच्चस्तरीय शिक्षा, अच्छे परिवेष, कपड़े, पॉकेट मनी, में खर्च किए, तथा जब वे 60 वर्षो के बाद सेवानिवृत (रिटायर) हुए तथा एक साथ अच्छी रकम फ़्रोविडेन्ट फण्ड का मिला भी तो सभी बेटों ने बेरोजगारी या अपने स्वार्थ के कारण अपने बूढ़े माता पिता की कोई चिन्ता या इच्छा जाने बिना जो भी रकम 15 से 20 लाख प्राप्त होते है, वे जोर जबरदस्ती कर अपने पिता नहीं चाहते हुए भी अपनी बच्चों की ख़ुशी हेतु जो अपने जीवन भी पाई पाई कर बचाते हुए जो रकम 60 वर्षो तक जमा किया था, वो एक ही पल में बेटों में स्वार्थ के कारण रकम का बटवारा कर लेते है, परन्तु "पेंशन" हर माह मिलने वाले रकम से वह अपनी बुढ़ापा जीवन अच्छी तरह बेफिक्र हो कर दोनों सेवानिवृत पति पत्नी अपने बच्चों से बिना कोई मदद माँगे बीना वे अपना जीवन अच्छी तरह गुजर बसर करते है क्योंकि अपने पेंशन के मिले हुए रकम से वे अपना बुढ़ापे जीवन में भी अच्छी तरह परवरिश करते है, तथा अपने नाती पोता या बच्चों को भी इसी पेंशन की रकम से खुश रखते है क्योंकि "पेंशन" ही ऐसी चीज।
परन्तु 2004-2005 से सरकार ने यह घोषणा की अब चाहे भारत सरकार या राज्य सरकार में होने वाली नियुक्तियों में पेंशन को पुर्णतः समाप्त कर दिया, परन्तु इसका विरोध पुरे भारत में हुआ, कि 60 वर्षो तक सरकार की सेवा भी करेंगे और एक बार 60 वर्षो के बाद सेवानिवृत होने पर सरकार एक बार अपने कार्य काल में करे PF फ़्रोविडेन्ट फण्ड से एक मुस्त रकम सरकार देगी परन्तु उससे होगा क्या? उसे बच्चे जैसा हमने ऊपर कहा कि बेरोजगारी और अपने स्वार्थ में आ कर वे अपने पिता के PF का पूरा रकम जोर जबरदस्ती से बराबरा कर लेंगे, तथा बच्चे तो अपना जीवन अच्छी तरह व्यतीत कर लेंगे पर जो पूरा 60 वर्षो तक भारत सरकार या राज्य सेवा किए तो उनका जीवन और बदतर होगा क्योंकि उन्हें पेंशन तो हर माह प्राप्त होगा नहीं? परन्तु भारत सरकार 2004 में "सर्वधन योजना" लाई, जिसमे इस योजना के अन्तर्गत यह सरकार ने अपने वेतन से हर माह 5 से 12% तक कटौती करती है तथा उतना ही रकम PFRDA (पेंशन फण्ड रेग्युलेटरी डेवलपमेंट ऑथोरिटी) द्वारा उतना उनके प्राण नम्बर पर बैंकों में जमा होता है जिनकी सूचना वे समय समय पर बैंकों में जाकर व्याज के साथ कितना उनके प्राण खाते में रकम जमा है वह सुचना प्राप्त करते है तथा उसका स्टेटमेन्ट भी प्राप्त कर सकते है, तथा जब वे 60 वर्ष तक सेवा देने के पश्चात् उन्हें 80% राशि एक मुस्त प्राप्त होती है तथा शेष 20% राशि से उन्हें हर माह पेंशन के रूप में उनके बचत खाते में प्राप्त होता रहता है जिससे वे अपना बुढ़ापा जीवन भी खुशहाली पूर्वक जीवन यापन करते है। जिन्हें "नेशनल पेंशन सिस्टम" या टायर वन भी कहा जाता है।
इसी योजना को आगे बढ़ाते हुए 2011 में भारत सरकार एक नई पेंशन प्लान या योजना "स्वावलम्बन योजना" लाई है जिसमे इस योजना के अन्तर्गत अब कोई भी आम नागरिक जो 18 वर्ष से 55 वर्ष के कोई भी व्यक्ति स्वावलम्बन योजना में शामिल हो सकते है, उसके लिए अपना "प्राण कार्ड" बनाना होता है

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